रिव्यू-कल के लिए उम्मीद जगाती ‘कल्कि’

दीपक दुआ

कु छ लिल्में ‘लिलिक-प्रूि’ होती हैं। यानी दर्शकोों को इससे कोई िकश नही ों पड़ता लक लिलिक्स उनके बािे में अच्छा-बुिा, कै सा ललख िहे हैं। इन लिल्मोों में या तो लकसी बड़े स्टाि की बड़ी लिल्म आती है या लिि ऊों ची लागत से अनोखे सैिअप में बनी भव्य लिल्में। औि ‘कल्कि 2898 एडी’ में तो ये दोनोों ही बातें हैं। दलिण भाित में तो प्रभास के प्रर्ोंसकोों ने हल्ला मचा िखा है। लिि भी एक सुधी दर्शक के ललए यह जानना ज़रूिी है लक लिल्म कै सी बनी है, कहाों वाि किती है, कहाों चूक गई औि आल्कखि कहना क्या चाहती है। तो आइए, जानते हैं।

वर्श 2898 चल िहा है। दुलनया तबाह हो चुकी है। लसिश दुलनया का पहला र्हि कार्ी आबाद है। वहाों भी बुिी हालत है। हि तिि अोंधकाि, भूख, गिीबी, इोंसानी जान की कोई कीमत नही।ों वही ों कहीों सुप्रीम नामक लकसी बुिी ताकत का ‘कॉम्प्लैक्स’ नामक साम्राज्य है। उसके आदमी लड़लकयोों, औितोों को पकड़ कि ले जाते हैं। सुप्रीम को उनसे कु छ खास चालहए। उधि लवष्णु का दसवाों अवताि कल्कि आने को है। इसे बचाने का दालयत्व अश्वत्थामा पि है जो महाभाित काल से आज तक कृ ष्ण की दी हुई र्ालपत लज़ोंदगी जी िहा है तालक आने वाले कल की ििा कि सके । वही ों कु छ अच्छे लोग (लजन्हें लिल्म में ‘िे बल’ यानी बागी कहा गया है) भी हैं जो र्ोंबाला नामक एक गुप्त र्हि में िहते हैं।

पुिाणोों से कहालनयोों के अोंकु ि लनकाल उसे भलवष्य के गभश में िोप कि अलग औि अनोखे लसनेमा की जो पौध हॉलीवुड ने खड़ी की है, वह हमें हैिान किती आई है। ‘मैलिि क्स’ हो या ‘अवताि’, पुिाणोों की कहालनयोों को लजतनी अच्छी तिह से हॉलीवुड वालोों ने समझा औि समझाया है, वैसा हमािे लिल्मकाि इसललए नही ों कि पाए क्योोंलक एक तो हमािे यहाों की लिल्में ‘लमक्स-मसाला’ िाइप होती हैं (लजनकी लत भी हमें इन्ही ों लोगोों ने लगाई है) औि दू सिे इन लिल्मोों पि लगने वाला पैसा इतना ज़्यादा होता है लक बाज़ाि की बेलड़याों हमािे लिल्मकािोों के कदमोों को थाम लेती हैं। लेलकन आने वाले कल के ललए बड़ी सोच िखने वाले लिल्मकाि गाहे-बगाहे ऐसी लिल्में ले ही आते हैं। ‘बाहुबली’ ने यह दुस्साहस कि के लदल जीते थे। अब ‘कल्कि’ इस काम को अोंजाम दे िही है।

इसे ललखने वालोों ने लहन्दू औि लतब्बती पिों पिाओों व पुस्तकोों के सोंदभों से यह कहानी तैयाि की है। खगोलर्ास्त्री औि गलणतज्ञ आयशभट्ट की गणना के मुतालबक ईसा से 3102 साल पहले कलयुग आिों भ हुआ था। इसके 6000 साल बाद वर्श 2898 ही होगा। कार्ी को दुलनया का पहला जीलवत र्हि माना जाता है। यह कहानी वही ों ल्कथथत है। अच्छे लोग र्ोंबाला में हैं। मान्यता है कल्कि का जन्म उत्ति प्रदेर् के सोंभल िेत्र में होगा। र्ोंबाला में बड़ी सोंख्या में लतब्बती बौद्ध औि उनके कालचि को लदखाने से साि है लक लिल्म की कहानी को लेकि गहिी रिसचश की गई है। क्लाइमैक्स में आने वाले कु छ दृश्य भी इस बात की गवाही देते हैं।

इस लिल्म को एकदम पहले सीन से देल्कखएगा। ज़िा-सी भी लमस हुई तो धागे पकड़ते िह जाएों गे। हालाोंलक सोच के स्ति पि यह लिल्म गहिा लवचाि देती है। स्वाथी, दोंभी, लालची औि नििती लोगोों की बढ़ती लगनती व हिकतें सृलि को गतश में ले जाएों गी। कु दिती खूबसूिती व सोंसाधनोों को छु पा कि िखा जाएगा। बुिे लोग अलधक ताकतवि, अलधक एकजुि औि अपनी नस्ल को अमि किने में जुिे होोंगे। दू सिे पाले की औितोों पि वे कब्जा किें गे। ऐसे में पाप औि पालपयोों का सामना किने के ललए भले लोगोों को उठ खड़े होना होगा। लेलकन लदक्कत यह है लक इस लिल्म की ललखाई उतनी ताकतवि नही ों है लजतनी होनी चालहए थी। पात्रोों या घिनाओों से लेखक या लनदेर्क नाग अलश्वन ऐसा कोई इमोर्नल कनैक्शन नही ों बना पाए लजसे देख कि मन भावुक हो या उसमें िोमाोंच पैदा हो। इसमें ऐसे ताकतवि सोंवादोों का भी िोिा है जो लदल पि वाि कि सकें औि लिल्म देखने के बाद ज़ेहन में गूोंजते िहे।

तीन घोंिे लोंबी इस लिल्म के िस्टश हॉि में ऐसे बहुत सािे सीन हैं जो बेवजह लोंबे हैं। कई लकिदाि हैं लजनकी ज़रूित ही नही ों थी। यहाों तक लक प्रभास के र्ुरूआती चाि सीक्वें स बहुत खीचों े गए हैं औि बोि किते हैं। प्रभास से बेवजह मसखिी किवाई गई है। सही है लक अगले भाग की तैयारियोों के चलते कई बाि लकिदािोों का ग्राि इस तिह भी िखा जाता है लेलकन ऐसा भी क्या लजसे देख कि मनोिों जन की बजाय उबालसयाों आने लगें? कम से कम 20-25 लमनि की औि एलडलिोंग से यह लिल्म कसी जा सकती है। हालाोंलक इसके लवज़ुअल्स बेहद र्ानदाि हैं लेलकन लसिश दर्शनीय होने भि से क्वाललिी बेहति नही ों होती। कों िैंि के स्ति पि भी तो उठान होना चालहए।

लिल्म के बेहद खचीले, बेहद भव्य, बेहद अनोखे दृश्योों को देख कि भाितीय लसनेमा की िमता पि भिोसा होता है। खासतौि से एक्शन-सीक्वें स लाजवाब हैं। उनमें भी जब-जब अलमताभ बच्चन लदखे हैं, पलकें झपकना भूल जाती हैं। बेहद सर्क्त, बेहद असिदाि लगे हैं अलमताभ। उनका मेकअप,

पोर्ाक, मुद्राएों , सब गजब है। दीलपका पादुकोण, र्ोभना साधािण िही।ों इनसे बेहति तो मृणाल ठाकु िऔि अन्ना बेन लगी।ों कमल हासन कम लदखे। लिल्म के अगले भाग में उनका िोल अलधक ताकतवि होने की उम्मीद है। लदर्ा पिनी, ब्रह्मानोंदम समेत बहुत सािे कलाकािोों की लिल्म में कोई ज़रूित ही नही ों थी। पर्ुपलत औि अलनल जॉजश अपने काम से असि छोड़ते हैं। र्ाश्वत चिजी बेहद प्रभावी िहे हैं। कु छ पल को िामगोपाल वमाश, दुलकि सलमान, एस.एस. िाजमौली व अन्य कई बड़े नाम भी लिल्म में लदखाई देते हैं। लेलकन इनमें से अलधकाोंर् की लिल्म में ज़रूित नही ों लदखाई देती। इतनी बड़ी लिल्म बनाने वाले लोग ऐसे छोिे मोह में पड़ कि अपने ही माल को कमज़ोि बना गए। एक र्ुरुआती गाना छोड़ कि बाकी के गाने भी हिे हैं।

बेहद र्ानदाि सैिअप, कमाल के एक्शन-सीक्वें स, सधा हुआ लवर्य, अलमताभ बच्चन का अद् भुत काम, लिल्म की चमत्कारिक लुक औि कसा हुआ क्लाइमैक्स लमल कि इस लिल्म के कद को ऊों चा किते हैं। अोंत में दू सिे पािश की घोर्णा के बाद वाला सीन ज़रूि देल्कखएगा। लसनेमा के आने वाले कल के ललए ‘कल्कि’ जैसी लिल्में उम्मीदें लेकि आती हैं।

(िे लिोंग की ज़रूित ही क्या है? रिव्यू पलढ़ए औि िै सला कीलजए लक यह लकतनी अच्छी या खिाब है। औि हाों, इस पोस्ट के नीचे कमेंि कि के इस रिव्यू पि अपने लवचाि ज़रूि बताएों ।)

Released on Date-27 June, 2024 in theatres.

साभाि: (www.cineyatra.com)